Sunday, December 06, 2015

Mera Kuchh samaan - Gulzar (translation)-




मेरा कुछ सामान, तुम्हारे पास पड़ा है
सावन के कुछ भीगे-भीगे दिन रखे हैं 
और मेरे एक ख़त में लिपटी रात पड़ी है
वो रात बुझा दो, मेरा वो सामान लौटा दो

Some things of mine are left behind with you-
Some rain soaked leaves;
And a night wrapped in a letter...
Wipe out that night,
Restore those things of mine…

पतझड़ है कुछ, है ना?
पतझड़ में कुछ पत्तों के गिरने की आहट
कानों में एक बार पहन के लौटाई थी
पतझड़ की वोह शाख अभी तक काँप रही है
वो शाख गिरा दो, मेरा वो सामान लौटा दो


Wasn’t that autumn-
And the rustle of falling leaves
That I handed over to you
After adorning my ears;
that bough still quivers-
Shed that bough, and hand over my things…

एक अकेली छतरी में जब आधे-आधे भीग रहे थे 
आधे सूखे, आधे गीले, सूखा तो मैं ले आई थी
गीला मन शायद बिस्तर के पास पड़ा हो
वो भिजवा दो, मेरा वो सामान लौटा दो

Sharing an umbrella-
Drenched in parts,Dry in parts...
I brought home the parched;
But perhaps I left behind my moist heart-
By the bedside…
Send back those things of mine…

एक सौ सोलह चाँद की रातें, एक तुम्हारे काँधे का तिल 
गीली मेहँदी की खुशबू, झूठ-मूठ के शिकवे कुछ
झूठ-मूठ के वादे भी सब याद करा दूं
सब भिजवा दो, मेरा वो सामान लौटा दो

A hundred or more moonlit nights,
That mole on your shoulder,
The fragrance of wet henna...
Let me remind you 
Of those petty quibbles, those false promises
Give all of them back …

एक इजाज़त दे दो बस, जब इनको दफ़नाऊगी 
मैं भी वहीँ सो जाऊंगी, 
मैं भी वहीँ सो जाऊंगी 

Just allow me this-
That when I bury these;
Let me lay to rest…


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